हमारा रोना लोगों को नकल लगा,
दुख जाहिर करना बेअकल लगा,
कहते भी तो किससे मन की बात 'चिलमन'--
विरह का गीत भी उनको गजल लगा॥
- जीवन का हर लहजा खराब हो गया है,
- पीने का पानी जैसे शराब हो गया है,
- शबाब हो जैसे चिकन तंदूरी 'चिलमन' --
- लड़की के प्रति कितना नजरिया खराब हो गया है॥